आजकल कई लोगों को कमर दर्द की शिकायत हो रही है, चलिए आज जानते है आप कैसे इससे मुक्ति पा सकते हैं|
कम्प्रेसिव मायलोपैथी नामक बीमारी रीढ़ (स्पाइन) की
हड्डियों को संकुचित कर उन्हें कमजोर कर देती है। कम्प्रेसिव मायलोपैथी नामक
बीमारी आमतौर पर पचास
साल की उम्र के बाद शुरू होती है परंतु कई कारण ऐसे भी हैं जिनकी वजह से यह कम उम्र में भी
परेशानी का कारण बन सकती है। कमर से लेकर सिर तक जाने वाली रीढ़ की हड्डी के
दर्द को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। यह ऐसा दर्द है जो कभी नीचे से ऊपर और
कभी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है।
ये होते हैं कारण
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस रीढ़ से संबंधित समस्याओं के
कारण जब स्पाइनल कैनाल
सिकुड़ जाता है, तब
स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा इस बीमारी के अन्य
कई कारण हैं जैसे रूमैटिक गठिया के कारण गर्दन के जोड़ों को नुकसान पहुंच
सकता है, जिससे
गंभीर जकड़न और दर्द पैदा हो सकता है। रूमैटिक गठिया आमतौर पर गर्दन के ऊपरी भाग में होता है।
स्पाइनल टीबी,स्पाइनल ट्यूमर, स्पाइनल
संक्रमण भी इस रोग के प्रमुख कारण हैं। कई बार खेलकूद, डाइविंग या किसी दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी के बीच
स्थित डिस्क
(जो हड्डियों के शॉक एब्जॉर्वर के रूप में कार्य करती है) अपने स्थान से हटकर स्पाइनल कैनाल की
ओर बढ़ जाती है, तब भी
संकुचन की स्थिति बन जाती है। इस वजह से भी समस्या होती है।
बिना ऑपरेशन के उपचार संभव
इस बीमारी का बिना आपरेशन के भी इलाज संभव है। जब ये
रोग शुरू होता है तो
दर्द और सूजन कम करने वाली दवाओं और गैर-ऑपरेशन तकनीकों से इलाज किया जाता है। गंभीर दर्द का
भी कॉर्टिकोस्टेरॉयड से इलाज किया जा सकता है, जो पीठ के निचले हिस्से में इंजेक्ट की जाती है। रीढ़ की हड्डी
को मजबूती और स्थिरता
देने के लिए फिजियोथेरेपी की जाती है। इसके अलावा भी कई ऐसी सर्जिकल तकनीकें हैं
जिनका इस रोग के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बीमारी का कैसे चलेगा पता
इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर एमआरआई का
सहारा लेते हैं। इस जांच के द्वारा रीढ़ की हड्डी में संकुचन और इसके कारण
स्पाइनल कॉर्ड पर पड़ने
वाले दबाव की गंभीरता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके अलावा कई बार रीढ़ की हड्डी में
ट्यूमर होने पर कंप्यूटर टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, एक्स-रे आदि से भी जांच की जा सकती है।
सर्जिकल उपचार
कम्प्रेसिव मायलोपैथी की समस्या के स्थायी इलाज के
लिए प्रभावित स्पाइन की वर्टिब्रा की डिकम्प्रेसिव लैमिनेक्टॅमी (एक तरह की
सर्जरी) की जाती है ताकि स्पाइनल कैनाल में तंत्रिकाओं के लिए ज्यादा जगह बन
सके और तंत्रिकाओं पर से
दबाव दूर हो सके। यदि डिस्क हर्नियेटेड या बाहर की ओर निकली हुई होती हैं तो स्पाइनल
कैनाल में जगह बढ़ाने के लिए उन्हें भी हटाया जा सकता है, जिसे
डिस्केक्टॅमी कहते हैं। कभी-कभी उस जगह को भी चौड़ा करने की जरूरत पड़ती है, जहां
तंत्रिकाएं मूल स्पाइनल कैनाल से बाहर निकलती हैं। इस स्थान को फोरामेन कहते हैं।
ये होते हैं लक्षण
- लिखने, बटन लगाने
और भोजन करने में समस्या
- गंभीर
मामलों में मल-मूत्र संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना
- चलने
में कठिनाई यानी शरीर को संतुलित रखने में परेशानी
- कमजोरी
के कारण वस्तुओं को उठाने या छोड़ने में परेशानी
- सुन्नपन
या झुनझुनी का अहसास होना
- गर्दन, पीठ व
कमर में दर्द और जकड़न
ऐसे कर सकते हैं बचाव
- कंप्यूटर
पर अधिक देर तक काम करने वालों को कम्प्यूटर का मॉनीटर सीधा रखना चाहिए।
- कुर्सी
की बैक पर अपनी पीठ सटा कर रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल पर उठते रहना चाहिए।
- फिजियथेरेपी
द्वारा गर्दन का ट्रैक्शन व गर्दन के व्यायाम से आराम मिल सकता है।
- व्यायाम
इस रोग से बचाव के लिए आवश्यक है।
- देर तक गाड़ी चलाने की स्थिति में पीठ को सहारा देने के लिए तकिया लगाएं।
कमर दर्द के लिए कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए?
पैरासिटामोल किसे निर्धारित किया जाता है ? (When Paracetamol is prescribed in Hindi)
चिकिस्तक पैरासिटामोल दवा बुखार, सिरदर्द, दर्द
वाले लोगो के लिए निर्धारित करते है यदि व्यक्ति पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त है
तो चिकिस्तक इस दवा की सलाह नहीं देते है।
2 डोमपरिडोन (domperidone)
3 कूमैरान्स (Coumarins)
4 एंटीकोनवल्सेन्ट्स
(anticonvulsants)
5 मेटोक्लोप्रमाइड (metoclopramide)
6 प्रोबेनेसिड (probenecid)
7 क्लोरमफेनिकॉल (chloramphenicol)
चलिए जानते है पैरासिटामोल
के नुकसान ? (Side-Effects of
Paracetamol in Hindi)
आपको पैरासिटामोल के निम्न दुष्परिणाम देखने को मिल सकते
है।
1 भूख में कमी आना।
2 सूजन की समस्या
होना।
3 दस्त होना।
4 कब्ज की समस्या
होना।
5 त्वचा पर लाल दाने आना।
6 त्वचा में खुजली
होना।
7 त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना।
8 त्वचा में जलन
होना।
9 हल्का पीलिया का
जोखिम होना।
10 गंभीर रूप से
एनीमिया होना।
11 लिवर को नुकसान
पहुंचना। (और पढ़े – लिवर सिरोसिस की समस्या)
12 एडिमा होना।
13 स्टीवन जॉनसन
सिंड्रोम।
14 सूई वाली जगह पर एलर्जी होना।
पैरासिटामोल का सेवन किन लोगो को नहीं करना चाहिए ? (Which people should not consume Paracetamol in
Hindi)
कुछ निम्न स्तिथियो में दवा का सेवन नहीं करने की सलाह दी
जा सकती हैं।
जैसे की –
1 गुर्दे की
बीमारी।
2 लिवर रोग। (और
पढ़े – लंग कैंसर क्या हैं)
3 शराब की लत
लगना।
4 न्यूटोपेनिया।
5 ड्रग एलर्जी होना।
पैरासिटामोल से संबंधित सावधानी ? (Paracetamol Related Warnings in Hindi)
1 गर्भावस्था –
पैरासिटामोल दवा का गर्भवती महिलाओं पर कोई खास दुष्परिणाम नहीं होता हैं।
2 स्तनपान – स्तनपान करने वाली महिलाओं को
पैरासिटामोल दवा का सेवन कर सकते हैं।
3 गुर्दा – पैरासिटामोल दवा पर किडनी पर अधिक
बुरा प्रभाव नहीं डालता है। इसका हानिकारक प्रभाव कम होता हैं।
4 जिगर – पैरासिटामोल दवा का बुरा प्रभाव लिवर पड़
सकता है। अगर किसी व्यक्ति में दवा का सेवन करने पर दुष्परिणाम होते है तो
चिकिस्तक के सलाह के बाद ही सेवन करें।
5 हृदय – पैरासिटामोल दवा का हृदय पर निम्न
दुष्परिणाम हो सकते है। हालांकि हृदय रोग से ग्रस्त है तो चिकिस्तक से सलाह ले।
(और पढ़े – हार्ट अटैक आने क कारण क्या हैं)
दवाओं या उपचार के किसी भी पहलू की जिम्मेदारी नहीं लेता
है। यदि आपको अपनी दवा के बारे में कोई संदेह है, तो हम
आपको तुरंत एक डॉक्टर को देखने की सलाह देते हैं
चलिए जानते है महिलाओं में कमर दर्द का कारण -Chalia jante hai Mahilaon me kamar dard ka
karan
कमर दर्द होने के कई कारण ऐसे हैं जो सिर्फ महिलाओं में ही
होते हैं। इस लिस्ट में निम्नलिखित समस्याएं शामिल हैं :
महिलाओं में कमर दर्द का कारण प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम
(पीएमएस) - PMS ke karan kamar dard
मासिक धर्म से पहले
बहुत सी लड़कियों और महिलाओं को प्रीमेंस्ट्रुअल
सिंड्रोम की स्थिति महसूस होती है। पीएमएस के कई लक्षण हैं जैसे सिरदर्द, थकान, पेट फूलना, मूड
स्विंग, चिंता और बेचैनी और इन्हीं में से एक है कमर में तेज
दर्द की समस्या। पीएमएस पीरियड्स से कुछ दिन पहले शुरू होता है और पीरियड्स शुरू
होने के एक या दो दिन बाद समाप्त हो जाता है।
चलिए जानते है महिलाओं
में कमर दर्द का कारण प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) - PMDD ke karan kamar dard
पीएमडीडी, पीएमएस का गंभीर रूप है| पीएमडीडी के भावनात्मक और
शारीरिक लक्षण पीएमएस के जैसे ही होते हैं। पीएमडीडी से पीड़ित महिलाओं में कमर
दर्द की समस्या बहुत ज्यादा होती है।
चलिए जानते है महिलाओं
में कमर दर्द का कारण एंडोमेट्रिओसिस - Endometriosis ke karan kamar dard
चलिए जानते है महिलाओं
में कमर दर्द की समस्या डिस्मेनोरिया के कारण - Dysmenorrhea ke karan kamar dard
जब मासिक धर्म के दौरान सामान्य से भी बहुत ज्यादा तेज दर्द
महसूस होता है तो इसे डिस्मेनोरिया कहते हैं। डिस्मेनोरिया की वजह से होने वाला
दर्द आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में, पीठ के
निचले हिस्से या कमर में, कूल्हों और पैरों में महसूस होता है। यह आमतौर पर 1 से 3 दिनों तक रहता है। दर्द या तो हल्का-फुल्का सुस्त जैसा भी
हो सकता है, लेकिन बेहद तेज शूटिंग दर्द भी महसूस हो सकता है।
गर्भावस्था में होता है महिलाओं में कमर दर्द - Pregnancy me kamar dard
गर्भावस्था के दौरान कमर में दर्द होना आम बात है। यह आमतौर
पर इसलिए होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदल जाता
है, आपका वजन बढ़ जाता है और आपके हार्मोन्स लिगामेंट्स
को डिलिवरी की तैयारी के लिए रिलैक्स करने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं को कमर में
दर्द प्रेगनेंसी के पांचवें महीने और सातवें महीने के बीच होता है, लेकिन यह पहले भी शुरू हो सकता है। अगर आपको पहले से ही कमर
में दर्द हो, तो आपको गर्भावस्था के दौरान कमर में दर्द अधिक होने
की आशंका होती है।
पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम के कारण महिलाओं में कमर दर्द - Piriformis syndrome ke
karan kamar dard
आपके पिरिफोर्मिस मांसपेशी में ऐंठन की वजह से उत्पन्न दर्द, नितंब में गहरी स्थित एक बड़ी मांसपेशी, जिसे पिरिफोर्मिस सिंड्रोम कहा जाता है। श्रोणि में हार्मोन
और गर्भावस्था से संबंधित परिवर्तनों के कारण महिलाएं इस दर्द की समस्या से अधिक
प्रभावित होती हैं। पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम की वजह से साइटिक नस में इरिटेशन होने
लगती है, जिस कारण कमर में, जांघ
में और पैरों में तेज दर्द होने लगता है।
महिलाओं में कमर दर्द सैक्रोलिऐक जॉइंट डिस्फंक्शन के कारण
- Sacroiliac joint dysfunction ke karan kamar dard
महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में एक छोटा
सैक्रोलिऐक (एसआई) जॉइंट सतह होता है, जिसके
परिणामस्वरूप इस जॉइंट या जोड़ पर भार की सघनता अधिक होने लगती है। सैकरम या
त्रिकास्थि भी व्यापक होती है, अधिक असमान, कम
घुमावदार और महिलाओं में पीछे की तरफ झुका हुआ होता है, जिससे एसआई जॉइंट में समस्या हो सकती है। एसआई जॉइंट की
परेशानी होने पर कमर में, नितंब के ठीक ऊपर और जांघ के नीचे तेज दर्द होने लगता
है।
महिलाओं में कमर दर्द स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण - Spinal osteoarthritis ke
karan kamar dard
फेसेट जॉइंट (रीढ़ के जोड़ को कनेक्ट करने वाले जॉइंट) में
घिसाई या टूट-फूट से जुड़ी आर्थराइटिस को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं और यह महिलाओं
में ज्यादा कॉमन है। उम्र और वजन में वृद्धि के साथ इस समस्या का जोखिम अधिक हो
जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण कमर के ऊपरी हिस्से में, निचले हिस्से में, नितंब
में, जांघ में तेज दर्द, पीठ
में जकड़न जैसी समस्याएं महसूस होती हैं।
महिलाओं में कमर दर्द की समस्या डीजेनेरेटिव
स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस के कारण - Degenerative spondylolisthesis ke karan kamar dard
जब आपके रीढ़ में एक कशेरुका (वरटेब्रा) डीजेनेरेशन की वजह
से उसके नीचे फिसल जाती है, तो इसे ही अपक्षयी या डीजेनेरेटिव
स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस कहा जाता है। ऐस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण रजोनिवृत्ति
के बाद की महिलाओं में यह स्थिति ज्यादा कॉमन है। डीजेनेरेटिव स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस
के कारण पैरों में और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है।
महिलाओं में कमर दर्द का इलाज - Mahilaon me kamar dard ka
ilaj
महिलाओं में कमर दर्द का घरेलू उपचार - Mahilon me kamar dard ka gharelu upchar
अगर आपको हर महीने होने वाल मासिक धर्म से जुड़े दर्द, पीएमएस या मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से कमर में दर्द
हो रहा हो तो आप निम्नलिखित घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकती हैं :
1. हीटिंग पैड का इस्तेमाल
आपकी पीठ या कमर पर लगाया गया एक हीटिंग पैड ब्लड सर्कुलेशन
को बढ़ावा दे सकता है जिसके बदले में, पोषक
तत्व और ऑक्सीजन कमर की मांसपेशियों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। (और पढ़ें -
सिंकाई क्या है, कैसे करें)
2. गर्म पानी से नहाएं
जब कमर या पीठ में दर्द हो तो गर्म पानी से नहाना भी फायदेमंद
हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और
मांसपेशियों में दर्द और जकड़न की समस्या कम होती है।
3. एक्सरसाइज करें
अगर आप एक्सरसाइज करें, दिनभर
गतिशील बने रहें तो इससे भी शरीर में सर्कुलेशन बेहतर होता है और जिन मांसपेशियों
में खिंचाव उत्पन्न होता है उसे भी आराम दिलाने में मदद मिलती है।
4. आइस पैक लगाएं
अगर आपको किसी तरह की चोट या मांसपेशियों में तनाव की वजह
से कमर में दर्द महसूस हो रहा हो तो आप आइस पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे
सूजन और जलन को कम करने में, दर्द और खरोंच की समस्या भी कम करने में मदद मिलती
है। हालांकि, चोट लगने या मांसपेशियों में खिंचाव होने के 48 घंटे के अंदर आइस पैक इस्तेमाल करने पर ही यह फायदेमंद
साबित हो सकता है। (और पढ़ें - बर्फ से सिंकाई कैसे करते हैं, इसके क्या फायदे हैं)
5. तकिया लगाएं
अगर आप करवट लेकर सोती हैं तो अपने पैरों के बीच में तकिया
रखें और अगर पीठ के बल सोती हैं तो अपने घुटनों के नीचे तकिया रखें। ऐसा करने से
कमर का दर्द और असहजता को कम करने में मदद मिलेगी।
6. सही कुर्सी का चुनाव करें
ऐसी कुर्सी पर बैठें जिससे आपकी कमर को बेहतर तरीके से सपोर्ट मिले, ताकि बैठे रहने के दौरान आपको कमर में दर्द की समस्या महसूस न हो।