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Tuesday, September 28, 2021

how to cure back pain fast at home

आजकल कई लोगों को कमर दर्द की शिकायत हो रही है, चलिए आज जानते है आप कैसे इससे मुक्ति पा सकते हैं|

कोरोना की वजह से लोग पिछले कई महीनों से लगातार वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। ऐसे में सही तरीके से न बैठने से लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग पीठ के बल बैठे होंगे तो कुछ को बिस्तर पर लेटे-लेटे मोबाइल और लैपटॉप चलाने की आदत होगी। कुछ लोग एक ही पोजीशन में तकिये पर बैठकर समय भी बर्बाद करते हैं, इस तरह के आसन से आपकी रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचता है।

16  अक्टूबर विश्व स्पाइन दिवस (World Spine Day)  के रूप में पूरे विश्व भर में रीड की हड्डी के रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। रीढ़ की हड्डी संबंधी विकार विकलांगता के प्रमुख कारणों में से हैं। विश्व रीढ़ दिवस रीढ़ की हड्डी संबंधी विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से इस मौके पर #GetSpineActive के संदेश के साथ स्वयं की अच्छी देखभाल करके रीढ़ के दर्द और विकलांगता को रोकने के लिए सभी उम्र के लोगों को सूचित, शिक्षित और प्रेरित करना रखा गया है।

आजकल कमर में दर्द कभीभी  किसी भी वजह से हो सकता है, हम दर्द की स्थिति में किसी भी चीज पर ध्यान नहीं लगा सकते  है। जैसे की अगर हमने ज्यादा भारी सामान उठा लिया तो हमें कमरदर्द हो सकता है,  ज्यादा हेव वर्कआउट करने  से,  ज्यादा देर तक एक ही तरीके से बैठे रहने से आदि। ऐसे में कुछ घरेलू उपाय आपको इस स्थिति से तुरंत राहत दे सकते हैं।



मसाज

सरसों के तेल, ऑलिव ऑइल, लैवेंडर ऑइल इनमें से किसी को भी चुनें और उसे हल्का गर्म कर कमर पर मालिश करें। इस दौरान अंगूठों से रीढ़ की हड्डी पर भी हल्का दबाव बनाते हुए मसाज करें। सीधे के साथ ही सर्कुलर मोशन में भी मसाज करें। इससे आपको कुछ ही देर में दर्द से राहत महसूस होगी।

एप्सम सॉल्ट

एक कटोरी एप्सम सॉल्ट को हल्के गर्म पानी से भरे बाथटब में डालें। जबतक पानी की गर्माहट रहे तब तक बाथटब में रहे। बाहर निकलते ही आप दर्द में कमी महसूस कर सकेंगे।

मेथी दाना

एक चम्मच मेथी दाना लें और इसका पाउडर बना लें। अब एक ग्लास गर्म दूध में इसे मिलाएं और साथ में एक टीस्पून शहद डालें। इसे सिप लेते हुए पिएं। एक घंटे में आपको कमर दर्द में आराम महसूस होगा।

ऐपल साइडर विनिगर

कमर के दर्द को कम करने के लिए ऐपल साइडर विनिगर को सबसे अधिक कारगर माना गया है। इसकी वजह है इसका ऐल्कलाइन नेचर। यह बॉडी में मौजूद खतरनाक और विषैले तत्वों और इकट्ठा हुए मिनरल्स को घोल देता है। इसके अलावा यह जोड़ों को लचीलापन देने वाले लुब्रिकेंट्स का पुनर्निर्माण करने में भी मदद करता है। इसलिए रोजाना या तो सोने से पहले 1 कप पानी में एक ढक्कन ऐपल साइडर विनिगर मिलाकर पिएं या फिर उसे सरसों या नारियल के तेल के साथ मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं।



1.अदरक और शहद
 
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अगर आपको कमर में दर्द हो रहा है तो ऐसे में आपको अदरक को गर्म पानी में भिगोकर रखें और इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इसका सेवन करें. इसके अलावा आप चाहें तो अदरक के तेल से कमर की मालिश करें. इसी के साथ आप चाहें तो तुलसी के पत्ते को गर्म पानी में भिगोकर रखें और फिर इसमें शहद मिलाकर लें आपको आराम पहुंचेगा

2. लहसुन
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लहसुन हर किसी को पंसदनहीं होता है लेकिन ये सेहत के लिए हर तरीके से फायेदेमंद होता है. ऐसे में कमर दर्द के लिए आप लहसुन की कम से कम 8 से 10 कलियां लेकर उसका अच्छे से पेस्ट बनाएं औऱ उसके बाद उसे अपनी कमर पर लगाएं. ऐसा करने से आपको कुछ दिनों में कमर दर्द से राहत मिल जाएगी.

3. आइस पैक
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आइस पैक हर दर्द में आपकी मदद करता है ऐसे में आप आइस पैक का इस्तेमालक र सकते हैं. ऐसा करने से आपको काफी हद तक आराम मिलेगा. ये पैक आपके कमर में होने वाली सूजन को खत्म कर देगा.

4. हल्दी
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शरीर में किसी भी तरह के दर्द औऱ सूजन से राहत पाने के लिए हल्दी काफी पावरफुर साबित होती है. ऐसे में आप चाहें तो आप हल्दी और दूध पीकर आप इससे राहत पा सकते हैं.

 

कमर में बहुत ज्यादा दर्द हो तो क्या करना चाहिए?

कैसे होती है स्पाइन की बीमारी

कम्प्रेसिव मायलोपैथी नामक बीमारी रीढ़ (स्पाइन) की हड्डियों को संकुचित कर उन्हें कमजोर कर देती है। कम्प्रेसिव मायलोपैथी नामक बीमारी आमतौर पर पचास साल की उम्र के बाद शुरू होती है परंतु कई कारण ऐसे भी हैं जिनकी वजह से यह कम उम्र में भी परेशानी का कारण बन सकती है। कमर से लेकर सिर तक जाने वाली रीढ़ की हड्डी के दर्द को ही स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। यह ऐसा दर्द है जो कभी नीचे से ऊपर और कभी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है।

ये होते हैं कारण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस रीढ़ से संबंधित समस्याओं के कारण जब स्पाइनल कैनाल सिकुड़ जाता है, तब स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा इस बीमारी के अन्य कई कारण हैं जैसे रूमैटिक गठिया के कारण गर्दन के जोड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे गंभीर जकड़न और दर्द पैदा हो सकता है। रूमैटिक गठिया आमतौर पर गर्दन के ऊपरी भाग में होता है। स्पाइनल टीबी,स्पाइनल ट्यूमर, स्पाइनल संक्रमण भी इस रोग के प्रमुख कारण हैं। कई बार खेलकूद, डाइविंग या किसी दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी के बीच स्थित डिस्क (जो हड्डियों के शॉक एब्जॉर्वर के रूप में कार्य करती है) अपने स्थान से हटकर स्पाइनल कैनाल की ओर बढ़ जाती है, तब भी संकुचन की स्थिति बन जाती है। इस वजह से भी समस्या होती है।

बिना ऑपरेशन के उपचार संभव

इस बीमारी का बिना आपरेशन के भी इलाज संभव है। जब ये रोग शुरू होता है तो दर्द और सूजन कम करने वाली दवाओं और गैर-ऑपरेशन तकनीकों से इलाज किया जाता है। गंभीर दर्द का भी कॉर्टिकोस्टेरॉयड से इलाज किया जा सकता है, जो पीठ के निचले हिस्से में इंजेक्ट की जाती है। रीढ़ की हड्डी को मजबूती और स्थिरता देने के लिए फिजियोथेरेपी की जाती है। इसके अलावा भी कई ऐसी सर्जिकल तकनीकें हैं जिनका इस रोग के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है।

बीमारी का कैसे चलेगा पता

इस बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर एमआरआई का सहारा लेते हैं। इस जांच के द्वारा रीढ़ की हड्डी में संकुचन और इसके कारण स्पाइनल कॉर्ड पर पड़ने वाले दबाव की गंभीरता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके अलावा कई बार रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर होने पर कंप्यूटर टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन, एक्स-रे आदि से भी जांच की जा सकती है। 

 

सर्जिकल उपचार

कम्प्रेसिव मायलोपैथी की समस्या के स्थायी इलाज के लिए प्रभावित स्पाइन की वर्टिब्रा की डिकम्प्रेसिव लैमिनेक्टॅमी (एक तरह की सर्जरी) की जाती है ताकि स्पाइनल कैनाल में तंत्रिकाओं के लिए ज्यादा जगह बन सके और तंत्रिकाओं पर से दबाव दूर हो सके। यदि डिस्क हर्नियेटेड या बाहर की ओर निकली हुई होती हैं तो स्पाइनल कैनाल में जगह बढ़ाने के लिए उन्हें भी हटाया जा सकता है, जिसे डिस्केक्टॅमी कहते हैं। कभी-कभी उस जगह को भी चौड़ा करने की जरूरत पड़ती है, जहां तंत्रिकाएं मूल स्पाइनल कैनाल से बाहर निकलती हैं। इस स्थान को फोरामेन कहते हैं।

ये होते हैं लक्षण

- लिखने, बटन लगाने और भोजन करने में समस्या

- गंभीर मामलों में मल-मूत्र संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना

- चलने में कठिनाई यानी शरीर को संतुलित रखने में परेशानी

- कमजोरी के कारण वस्तुओं को उठाने या छोड़ने में परेशानी

- सुन्नपन या झुनझुनी का अहसास होना

- गर्दन, पीठ व कमर में दर्द और जकड़न

ऐसे कर सकते हैं बचाव

- कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने वालों को कम्प्यूटर का मॉनीटर सीधा रखना चाहिए।

- कुर्सी की बैक पर अपनी पीठ सटा कर रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल पर उठते रहना चाहिए। 

- फिजियथेरेपी द्वारा गर्दन का ट्रैक्शन व गर्दन के व्यायाम से आराम मिल सकता है।

- व्यायाम इस रोग से बचाव के लिए आवश्यक है।

- देर तक गाड़ी चलाने की स्थिति में पीठ को सहारा देने के लिए तकिया लगाएं।  

कमर दर्द के लिए कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए?

कमर दर्द के लिए  पैरासिटामोल दवा चिकिस्तक द्वारा सिफारिश की जाती है जो टैबलेट के रूप में उपलब्ध है।
 यह दवा मुख़्यतौर पर बुखार, दर्द के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्या के इलाज के लिए पैरासिटामोल दवा का उपयोग किया जाता है। चिकिस्तक यह दवा आयु, लिंग व स्वास्थ्य की स्तिथि के अनुसार निर्धारित करते है। हालांकि दवा की खुराक व्यक्ति के स्तिथि के आधार पर देते हैं। कई मामलो में पैरासिटामोल का नुकसान हो सकता है जो लंबे समय तक रह सकता है।

पैरासिटामोल का उपयोग आमतौर पर बुखार व सिरदर्द ,कमर दर्द, पैरो में दर्द, दांत दर्द, एड़ी में दर्द, कलाई में दर्द, मांसपेशियो में दर्द, स्लिप डिस्क, आस्टियोआर्थराइटिस, माइग्रेन आदि के लिए उपयोग किया जाता है। मानसून की बीमारिया में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, वायरल फीवर के इलाज में दवा का उपयोग किया जाता है। साइटिका, वृषण में सूजन जैसे समस्या के लिए पैरासिटामोल उपयोगी दवा के रूप में कार्य करता है। गर्भावस्था में ब्रेस्ट में दर्द, बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, ऐंठन, कमर दर्द, पेडू में दर्द आदि समस्या में चिकिस्तक पैरासिटामोल दवा की सलाह देते है।

पैरासिटामोल किसे निर्धारित किया जाता है ? (When Paracetamol is prescribed in Hindi)

 

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चिकिस्तक पैरासिटामोल दवा बुखार, सिरदर्द, दर्द वाले लोगो के लिए निर्धारित करते है यदि व्यक्ति पहले से किसी बीमारी से ग्रस्त है तो चिकिस्तक इस दवा की सलाह नहीं देते है।


चलिए जानते है पैरासिटामोल के साथ कौन सी दवा नहीं लेनी चाहिए ? (What medication should not be taken with Paracetamol in Hindi)

 

किसी तरह की कोई भी  दवा का सेवन पहले से कर रहे है तो पैरासिटामोल का उपयोग करने से पहले चिकिस्तक की सलाह लेना चाहिए। बिना चिकिस्तक की  सलाह के दवा का उपयोग शरीर पर बुरा प्रभाव दल सकता है।
 कृपया आप चिकिस्तक की सलाह के बिना इनका सेवन न करें।

 

    जैसे  की –
    1 कोलेस्टिरमाइन (cholestyramine)

    2 डोमपरिडोन (domperidone)

    3 कूमैरान्स (Coumarins)

    4 एंटीकोनवल्सेन्ट्स (anticonvulsants)

    5 मेटोक्लोप्रमाइड (metoclopramide)

    6 प्रोबेनेसिड (probenecid)

    7  क्लोरमफेनिकॉल (chloramphenicol)

 

चलिए जानते है  पैरासिटामोल के नुकसान ? (Side-Effects of Paracetamol in Hindi)

 

आपको पैरासिटामोल के निम्न दुष्परिणाम देखने को मिल सकते है।

 

   1 भूख में कमी आना।

   2  सूजन की समस्या होना।

   3  दस्त होना।

   4  कब्ज की समस्या होना।

   5 त्वचा पर लाल दाने आना।

   6  त्वचा में खुजली होना।

   7 त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ना।

   8  त्वचा में जलन होना।

   9  हल्का पीलिया का जोखिम होना।

   10  गंभीर रूप से एनीमिया होना।

   11  लिवर को नुकसान पहुंचना। (और पढ़े – लिवर सिरोसिस की समस्या)

   12  एडिमा होना।

   13  स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम।

    14 सूई वाली जगह पर एलर्जी होना।

 

इनमे से कोई लक्षण  है, तो दवा का सेवन बंद कर चिकिस्तक से तुरंत संपर्क करें।

पैरासिटामोल का सेवन किन लोगो को नहीं करना चाहिए ? (Which people should not consume Paracetamol in Hindi)

 

कुछ निम्न स्तिथियो में दवा का सेवन नहीं करने की सलाह दी जा सकती हैं।

 

    जैसे की –

1   गुर्दे की बीमारी।

2   लिवर रोग। (और पढ़े – लंग कैंसर क्या हैं)

3   शराब की लत लगना।

4   न्यूटोपेनिया।

5   ड्रग एलर्जी होना।

 

पैरासिटामोल से संबंधित सावधानी ? (Paracetamol Related Warnings in Hindi)

 

   1 गर्भावस्था – पैरासिटामोल दवा का गर्भवती महिलाओं पर कोई खास दुष्परिणाम नहीं होता हैं।

   2  स्तनपान – स्तनपान करने वाली महिलाओं को पैरासिटामोल दवा का सेवन कर सकते हैं।

   3  गुर्दा – पैरासिटामोल दवा पर किडनी पर अधिक बुरा प्रभाव नहीं डालता है। इसका हानिकारक प्रभाव कम होता हैं।

   4  जिगर – पैरासिटामोल दवा का बुरा प्रभाव लिवर पड़ सकता है। अगर किसी व्यक्ति में दवा का सेवन करने पर दुष्परिणाम होते है तो चिकिस्तक के सलाह के बाद ही सेवन करें।

   5   हृदय – पैरासिटामोल दवा का हृदय पर निम्न दुष्परिणाम हो सकते है। हालांकि हृदय रोग से ग्रस्त है तो चिकिस्तक से सलाह ले। (और पढ़े – हार्ट अटैक आने क कारण क्या हैं)

 

 

दवाओं या उपचार के किसी भी पहलू की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यदि आपको अपनी दवा के बारे में कोई संदेह है, तो हम आपको तुरंत एक डॉक्टर को देखने की सलाह देते हैं

 

महिलाओं को कमर में दर्द क्यों रहता है ?

चलिए जानते है महिलाओं में कमर दर्द का कारण -Chalia jante hai  Mahilaon me kamar dard ka karan

 

कमर दर्द होने के कई कारण ऐसे हैं जो सिर्फ महिलाओं में ही होते हैं। इस लिस्ट में निम्नलिखित समस्याएं शामिल हैं :

महिलाओं में कमर दर्द का कारण प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) - PMS ke karan kamar dard

 

 मासिक धर्म से पहले बहुत सी लड़कियों और महिलाओं को  प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की स्थिति महसूस होती है। पीएमएस के कई लक्षण हैं जैसे सिरदर्द, थकान, पेट फूलना, मूड स्विंग, चिंता और बेचैनी और इन्हीं में से एक है कमर में तेज दर्द की समस्या। पीएमएस पीरियड्स से कुछ दिन पहले शुरू होता है और पीरियड्स शुरू होने के एक या दो दिन बाद समाप्त हो जाता है।

 

चलिए जानते है  महिलाओं में कमर दर्द का कारण प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) - PMDD ke karan kamar dard

 

पीएमडीडी, पीएमएस का गंभीर रूप है| पीएमडीडी के भावनात्मक और शारीरिक लक्षण पीएमएस के जैसे ही होते हैं। पीएमडीडी से पीड़ित महिलाओं में कमर दर्द की समस्या बहुत ज्यादा होती है।

 

चलिए जानते है  महिलाओं में कमर दर्द का कारण एंडोमेट्रिओसिस - Endometriosis ke karan kamar dard

 

एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ऊतक जो कि गर्भाशय को लाइन करता है, जिसे एंडोमेट्रियल ऊतक के रूप में जाना जाता है, वह गर्भाशय के बाहर बढ़ता है। एंडोमेट्रिओसिस का सबसे कॉमन लक्षण है दर्द। कमर के निचले हिस्से और पेल्विक के हिस्से में तेज दर्द और मासिक धर्म के दौरान पेशाब करते वक्त तेज दर्द महसूस होना एंडोमेट्रिओसिस का अहम लक्षण है।

चलिए जानते है  महिलाओं में कमर दर्द की समस्या डिस्मेनोरिया के कारण - Dysmenorrhea ke karan kamar dard

 

जब मासिक धर्म के दौरान सामान्य से भी बहुत ज्यादा तेज दर्द महसूस होता है तो इसे डिस्मेनोरिया कहते हैं। डिस्मेनोरिया की वजह से होने वाला दर्द आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में, पीठ के निचले हिस्से या कमर में, कूल्हों और पैरों में महसूस होता है। यह आमतौर पर 1 से 3 दिनों तक रहता है। दर्द या तो हल्का-फुल्का सुस्त जैसा भी हो सकता है, लेकिन बेहद तेज शूटिंग दर्द भी महसूस हो सकता है।

 

गर्भावस्था में होता है महिलाओं में कमर दर्द - Pregnancy me kamar dard

 

गर्भावस्था के दौरान कमर में दर्द होना आम बात है। यह आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान गुरुत्वाकर्षण का केंद्र बदल जाता है, आपका वजन बढ़ जाता है और आपके हार्मोन्स लिगामेंट्स को डिलिवरी की तैयारी के लिए रिलैक्स करने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं को कमर में दर्द प्रेगनेंसी के पांचवें महीने और सातवें महीने के बीच होता है, लेकिन यह पहले भी शुरू हो सकता है। अगर आपको पहले से ही कमर में दर्द हो, तो आपको गर्भावस्था के दौरान कमर में दर्द अधिक होने की आशंका होती है।

 

पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम के कारण महिलाओं में कमर दर्द - Piriformis syndrome ke karan kamar dard

 

आपके पिरिफोर्मिस मांसपेशी में ऐंठन की वजह से उत्पन्न दर्द, नितंब में गहरी स्थित एक बड़ी मांसपेशी, जिसे पिरिफोर्मिस सिंड्रोम कहा जाता है। श्रोणि में हार्मोन और गर्भावस्था से संबंधित परिवर्तनों के कारण महिलाएं इस दर्द की समस्या से अधिक प्रभावित होती हैं। पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम की वजह से साइटिक नस में इरिटेशन होने लगती है, जिस कारण कमर में, जांघ में और पैरों में तेज दर्द होने लगता है।

 

महिलाओं में कमर दर्द सैक्रोलिऐक जॉइंट डिस्फंक्शन के कारण - Sacroiliac joint dysfunction ke karan kamar dard

 

महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में एक छोटा सैक्रोलिऐक (एसआई) जॉइंट सतह होता है, जिसके परिणामस्वरूप इस जॉइंट या जोड़ पर भार की सघनता अधिक होने लगती है। सैकरम या त्रिकास्थि भी व्यापक होती है, अधिक असमान, कम घुमावदार और महिलाओं में पीछे की तरफ झुका हुआ होता है, जिससे एसआई जॉइंट में समस्या हो सकती है। एसआई जॉइंट की परेशानी होने पर कमर में, नितंब के ठीक ऊपर और जांघ के नीचे तेज दर्द होने लगता है।

महिलाओं में कमर दर्द स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण - Spinal osteoarthritis ke karan kamar dard

 

फेसेट जॉइंट (रीढ़ के जोड़ को कनेक्ट करने वाले जॉइंट) में घिसाई या टूट-फूट से जुड़ी आर्थराइटिस को ऑस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं और यह महिलाओं में ज्यादा कॉमन है। उम्र और वजन में वृद्धि के साथ इस समस्या का जोखिम अधिक हो जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण कमर के ऊपरी हिस्से में, निचले हिस्से में, नितंब में, जांघ में तेज दर्द, पीठ में जकड़न जैसी समस्याएं महसूस होती हैं।

 

महिलाओं में कमर दर्द की समस्या डीजेनेरेटिव स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस के कारण - Degenerative spondylolisthesis ke karan kamar dard

 

जब आपके रीढ़ में एक कशेरुका (वरटेब्रा) डीजेनेरेशन की वजह से उसके नीचे फिसल जाती है, तो इसे ही अपक्षयी या डीजेनेरेटिव स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस कहा जाता है। ऐस्ट्रोजन का स्तर कम होने के कारण रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में यह स्थिति ज्यादा कॉमन है। डीजेनेरेटिव स्पॉन्डिलोलिस्टीसिस के कारण पैरों में और कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द महसूस होता है।

महिलाओं में कमर दर्द का इलाज - Mahilaon me kamar dard ka ilaj

 कमर में होने वाला अधिकांश तेज दर्द कुछ हफ्तों के घरेलू उपचार के साथ खुद ही बेहतर हो जाता है। हालांकि, हर व्यक्ति अलग होता है और कमर और पीठ का दर्द एक जटिल स्थिति है। कई लोगों के लिए, दर्द लंबे समय तक दूर नहीं होता है, लेकिन केवल कुछ लोगों को लगातार, गंभीर दर्द होता रहता है। तेज कमर दर्द के लिए, ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दर्दनिवारक दवाइयां जैसे- नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी), आईबूप्रोफेन, नैप्रोक्सेन, ऐस्प्रिन आदि का इस्तेमाल कर सकती हैं और हीट टेक्नीक का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। हालांकि, कमर या पीठ दर्द की समस्या में बेड रेस्ट यानी बिस्तर पर आराम की सलाह नहीं दी जाती।

अपनी गतिविधियों को तब तक जारी रखें जिब तक आप सहन कर सकती हैं। कमर दर्द होने के बावजूद हल्की गतिविधि, जैसे वॉक करना और दैनिक जीवन के सभी कार्यों को हमेशा की तरह जारी रखें। वैसे कार्य या गतिविधियां जिन्हें करने से आपका कमर दर्द बढ़ता हो उन्हें रोक दें, लेकिन दर्द के डर से कोई भी काम या गतिविधि करने से न बचें। यदि घरेलू उपचार कई हफ्तों के बाद भी काम नहीं कर रहे हों तो डॉक्टर आपको ज्यादा पावर वाली स्ट्रॉन्ग दवाइयां या कोई दूसरा उपचार करवाने का सुझाव दे सकते हैं।

महिलाओं में कमर दर्द का घरेलू उपचार - Mahilon me kamar dard ka gharelu upchar

अगर आपको हर महीने होने वाल मासिक धर्म से जुड़े दर्द, पीएमएस या मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से कमर में दर्द हो रहा हो तो आप निम्नलिखित घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकती हैं :

 

1. हीटिंग पैड का इस्तेमाल

आपकी पीठ या कमर पर लगाया गया एक हीटिंग पैड ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा दे सकता है जिसके बदले में, पोषक तत्व और ऑक्सीजन कमर की मांसपेशियों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। (और पढ़ें - सिंकाई क्या है, कैसे करें)

 

2. गर्म पानी से नहाएं

जब कमर या पीठ में दर्द हो तो गर्म पानी से नहाना भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और मांसपेशियों में दर्द और जकड़न की समस्या कम होती है।

 

3. एक्सरसाइज करें

अगर आप एक्सरसाइज करें, दिनभर गतिशील बने रहें तो इससे भी शरीर में सर्कुलेशन बेहतर होता है और जिन मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है उसे भी आराम दिलाने में मदद मिलती है।

 

4. आइस पैक लगाएं

अगर आपको किसी तरह की चोट या मांसपेशियों में तनाव की वजह से कमर में दर्द महसूस हो रहा हो तो आप आइस पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे सूजन और जलन को कम करने में, दर्द और खरोंच की समस्या भी कम करने में मदद मिलती है। हालांकि, चोट लगने या मांसपेशियों में खिंचाव होने के 48 घंटे के अंदर आइस पैक इस्तेमाल करने पर ही यह फायदेमंद साबित हो सकता है। (और पढ़ें - बर्फ से सिंकाई कैसे करते हैं, इसके क्या फायदे हैं)

 

5. तकिया लगाएं

अगर आप करवट लेकर सोती हैं तो अपने पैरों के बीच में तकिया रखें और अगर पीठ के बल सोती हैं तो अपने घुटनों के नीचे तकिया रखें। ऐसा करने से कमर का दर्द और असहजता को कम करने में मदद मिलेगी।

 

6. सही कुर्सी का चुनाव करें

ऐसी कुर्सी पर बैठें जिससे आपकी कमर को बेहतर तरीके से सपोर्ट मिले, ताकि बैठे रहने के दौरान आपको कमर में दर्द की समस्या महसूस न हो।

पतंजलि कमर दर्द की दवा
कमर दर्द के लिए सबसे प्रमुख योगासन हैं मकरासन, भुजंगासन, शलभासन और मर्कटसन। इनके साथ अर्धचंद्रासन या उष्ट्रासन भी कर सकते हैं।

 


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